Thursday, September 22, 2011

कहीं आप इस धरती पर आखिरी इंसान तो नहीं...

             बहुत दिनों से इस खामोश दिल ने सुगबुगाहट नहीं की, क्या करें वक़्त बहुत कम ही मिल पाता है और जितना भी मिलता है न शरीर और न ही दिमाग ये इजाजत देता है कि कुछ लिख सकूं... पता नहीं कैसे आज शाम अचानक बैठे बैठे ख्याल आया, कि अगर हमें छुट्टी मिलती है तो हम क्या करते हैं (ये सवाल सिर्फ कुंवारे लोगों से है क्यूंकि शादी शुदा बेचारों के लिए छुट्टी का क्या मतलब है ;))... खैर, मज़ाक नहीं, कैसे बिताते हैं आप छुट्टियाँ ???? लोगों के पास कई जवाब होंगे, मसलन घूमने जाते हैं, घर के बचे काम निपटाते हैं, इंटरनेट करते हैं, हमारे ब्लॉगर दोस्त सारी छुट्टी, ब्लॉग को सरल भाव से समर्पित कर देते हैं.. आदि आदि.... लेकिन फ़र्ज़ करें आप इस धरती पर अकेले इंसान हैं और आपको बोला जाए ७ दिन बिताने को (अरे हाँ, ब्लॉगर दोस्तों से माफ़ी सहित इंटरनेट की सेवा भी हटा ली जाए)... जानता हूँ मुमकिन नहीं, लेकिन फिर सिर्फ एक बार सोच कर देखें, आपके पास टेलीविजन नहीं हो, कंप्यूटर, मोबाईल कुछ भी नहीं हो...सिर्फ आप अकेले एक सुनसान जगह पर, क्या करेंगे ??? रोंगटे खड़े हो गए न....
               अरे नहीं ये कोई ब्लॉग पोस्ट नहीं ये तो बस यूँ ही आपको परेशान करने का दिल किया, अगर आपके पास कोई बेहतरीन उपाय हो छुट्टियाँ बिताने का तो जरूर कहियेगा....  :))

                नोट :- कृपया इस पोस्ट को ज्यादा सीरियसली न लें, मैं तो बस ये चेक कर रहा था कि आप मुझे भूले तो नहीं....

Monday, September 5, 2011

मेरे टीचर तो आप हैं पापा...

             
कहते हैं भगवान् शिव ने एक बार कार्तिकेय और गणेश जी को कहा कि धरती की तीन परिक्रमा करके आओ.. कार्तिकेय तो मोर पर बैठ कर निकल लिए और गणेश जी ने अपने माता-पिता के ही तीन चक्कर लगा कर उनके पैर छू लिए... खैर पता नहीं ये बात कितनी सच है लेकिन जब आज के दिन टीचर्स डे मनाने की बात आती है तो समझ नहीं आता कि किसे-किसे विश करूँ तो इसलिए मैं भी वही कर सकता हूँ... क्यूंकि आपलोगों से अच्छा टीचर तो न मुझे आज तक मिला और न ही मिलेगा... हैप्पी टीचर्स डे माँ, हैप्पी टीचर्स डे पापा.... :-)
जब भी किसी शिक्षक  को याद करने की कोशिश करता हूँ, सबसे पहले आपका ही चेहरा नज़र आता है, आखिर आपकी दी हुई ज़िन्दगी ही तो जी रहा हूँ, न ही उसमे कुछ जोड़ा न ही घटाया... आपका सिखाया हुआ  हर एक सबक याद है, जो ज़िन्दगी के किसी न किसी मोड़ पर काम आयेंगे ही... इस ज़िन्दगी की  किताब के हर एक पन्ने का अस्तित्व बस आपके ही दम से है, जानता हूँ इस बात के लिए कोई भी पिता अपने बेटे का शुक्रिया कबूल नहीं कर सकते हैं, फिर भी वो कहते हैं न जो बात दिल से निकल रही हो उसे रोकना नहीं चाहिए... तो आज यूँ ही बस ये ख्याल हो आया कि आपके गले से लग जाऊं और प्यार से थैंक्स कह दूं, मुझे पता है आप एक हलकी सी चपत लगायेंगे और कहेंगे, पागल हो क्या, इसमें थैंक्स कहने जैसी बात क्या है... फिर भी बस यूँ ही... मेरी ख़ुशी के लिए ही सही थैंक्स कबूल कर लीजिये न...
आपकी छड़ी तो मैं आज तक नहीं भूला, जब भी कभी मैंने कोई गलती की आपकी छड़ी से कभी बच नहीं पाया, लेकिन मुझे मालूम है मेरी पिटाई से मुझे जितनी चोट लगती थी, उससे कहीं ज्यादा आपका दिल भी  तो दुखता होगा...
आखिर वो मेरे भले के लिए तो था, आज भी जब कोई गलती होने वाली होती है तो आपका ख्याल ज़रूर आता है... ये आपके दिए हुए ही संस्कार ही तो हैं जो हमेशा मेरा मार्गदर्शन करते रहते हैं... उम्मीद यही करता हूँ कि आपकी दी हुयी शिक्षा और संस्कारों का मान रख पाऊंगा, और अगर कभी कोई गलती हुयी तो आपकी छड़ी हमेशा मेरे साथ होगी, आप भी ये कभी ये सोच कर हिचकिचायियेगा नहीं कि मैं अब बड़ा हो गया हूँ, आपके लिए तो मैं हमेशा ही वही विक्रम रहूँगा जो हमेशा शैतानियाँ करता रहता था... आपकी छड़ी में छिपे आशीर्वाद के लिए मैं हमेशा तैयार मिलूंगा... आई लव यू पापा...
चलते चलते शिवम भैया की भाषा में कहूं तो, शिक्षक दिवस पर मैं अपने सभी शिक्षकों का पुण्य स्मरण करते हुए नमन करता हूँ | भगवान् उन सब को दीर्घजीवी बनाये  ... ताकि वह सब ज्ञान का प्रकाश दूर दूर तक पंहुचा सकें |
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